न्यूज़ बी रिपोर्टर, जमशेदपुर : बागबेड़ा के हरहरगुट्टू से दिल्ली तक पदयात्रा करने के लिए जलपुरुष सुबोध झा के नेतृत्व में 21 लोगों का जत्था रवाना हो गया है। सोमवार को हरहरगुट्टू से यह जत्था रवाना हुआ। बड़ी संख्या में आए ग्रामीणों ने जत्थे को विदा किया। जत्थे का नेतृत्व बागबेडा महानगर विकास समिति के अध्यक्ष सुबोध झा कर रहे हैं। उनकी मांग है कि लगभग 110 करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना का निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाए। सुबोध झा के नेतृत्व में जब यह जत्था साक्षी स्थित डीसी ऑफिस पहुंचा तो गेट पर ही पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीक्षण अभियंता शिशिर सोरेन ने जत्थे को रोक लिया। उन्होंने सुबोध झा के साथ वार्ता शुरू की। वार्ता लगभग 1 घंटे तक चली अधीक्षण अभियंता पदयात्रा रोकने के लिए बागबेडा महानगर विकास समिति के सुबोध झा को मनाने की कोशिश कर रहे थे। अधीक्षण अभियंता का कहना था कि 15 दिन के अंदर बागबेड़ा जलापूर्ति योजना में निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उनका कहना था कि चाहे वर्तमान एजेंसी काम करे या फिर एजेंसी बदल कर दूसरी एजेंसी लाना पड़े। लेकिन काम हर हाल में 15 दिन में शुरू हो जाएगा। लेकिन आंदोलनकारी नहीं माने। उनका कहना था कि जब निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। तो बागबेड़ा से लोग उन्हें फोन करेंगे और वह संतुष्ट हो जाएंगे तो बीच में पदयात्रा रोक सकते हैं। इसके बाद सुबोध झा डीसी विजया जाधव से मिले और उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई है कि बागबेड़ा जलापूर्ति योजना के तहत निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाए। इसके बाद सुबोध झा रांची के लिए रवाना हो गए हैं। वह रांची से दिल्ली कूच करेंगे। रांची में वह राज्यपाल और अन्य अधिकारियों से भी मिलेंगे। पारडीह के पास भी उनका स्वागत किया गया। बागबेड़ा जलापूर्ति योजना का निर्माण कार्य लगभग डेढ़ साल से ठप पड़ा हुआ है। लगभग 75 परसेंट काम हो चुका है। एजेंसी डेढ़ साल से काम नहीं कर रही है। स्वर्णरेखा में इंटकवेल से लेकर अन्य काम अभी बाकी है। बागबेडा महानगर विकास समिति ने कई बार धरना प्रदर्शन कर निर्माण कार्य शुरू करने की मांग की। लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं होने पर पदयात्रा शुरू की गई है। यह जत्था दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री कार्यालय जाएगा और वहां ज्ञापन देकर निर्माण कार्य शुरू करने की मांग करेगा। गौरतलब है बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना का शिलान्यास 2015 में हुआ था। योजना दो हजार अट्ठारह में पूरी होनी थी लेकिन अब तक पूरी नहीं हो पाई है।