न्यूज़ बी : अमेरिका इराक और सीरिया से अपनी सेनाएं वापस बुलाने की कवायद शुरू करने वाला है। एक अमेरिकी अधिकारी ने दावा किया है कि 90 दिनों के अंदर इराक और सीरिया से अमेरिकी सेनाएं वापस होने लगेंगी। माना जा रहा है कि इराक और सीरिया में अमेरिकी सेना पर हमले बढ़ रहे हैं। इसी के चलते अमेरिका में सेनाएं वापस बुलाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कई अमेरिकियों का मानना है कि अमेरीका को इराक और सीरिया से अपनी सेना को वापस बुला लेना चाहिए। वहीं, इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल सुडानी कई बार अमेरिका से सेनाएं वापस बुलाने की मांग कर चुके हैं। इराकी पार्लियामेंट अब इस बात पर वोटिंग भी करने वाली है और एक कानून बनाया जाएगा, जिसके जरिए अमेरिका को इराक से जितनी जल्दी हो सके बाहर निकाला जा सके। गौरतलब है कि ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर सैयद अली खामनाई ने ऐलान किया था कि अब अमेरिका को इस इलाके में नहीं रहने दिया जाएगा। अमेरिका अपना बोरिया बिस्तर समेट ले। विशेषज्ञों का मानना है कि उनके इस कथन के बाद ईरानी अधिकारियों ने अफगानिस्तान में सक्रियता दिखाई और ईरानी डिप्लोमेसी का नतीजा हुआ कि अमेरिका को अफगानिस्तान में बुरी तरह हर का सामना करना पड़ा और आनन-फानन बोरिया बिस्तर समेटकर भागना पड़ा। अमेरिका अपनी गैर मौजूदगी में तुर्की की सेनाएं अफ़ग़ानिस्तान भेज कर पिछले दरवाजे से अफगानिस्तान पर हुकूमत करना चाहता था। लेकिन ईरानियों ने इस साज़िश से तालिबान को आगाह कर दिया और तालिबानियों ने तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब को साफ कह दिया कि अगर तुर्की की सेनाएं अफगानिस्तान आती हैं तो उनको निशाना बनाया जाएगा। इसके बावजूद तुर्की की सेना काबुल एयरपोर्ट पर पहुंच गई थी। लेकिन तालिबानियों ने उसे काबुल के बाहर नहीं निकलने दिया था। गौरतलब है कि तुर्की अमेरिका का गहरा मित्र देश है।