न्यूज़ बी रिपोर्टर, जमशेदपुर : जादूगोड़ा थाना क्षेत्र के राखा मोड़ के पास शुक्रवार को एक बाइक ने घर से सामान लेने दुकान आए गोडा पहाड़ गांव निवासी रत्नाकर बाकती को टक्कर मार दी। इस हादसे में रत्नाकर बाकती गंभीर रूप से घायल हो गया। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस बाइक को जप्त कर थाने ले गई। बाइक सवार को भी थाने ले गई। रत्नाकर बाकती की पत्नी रीता बाकती को इसकी सूचना दे दी गई। इसके बाद रीता थाने पहुंची तो पुलिस में रत्नाकर को अस्पताल भेजने का इंतजाम किया। पुलिस ने कहा कि रत्नाकर का इलाज कराइए। जिस बाइक से दुर्घटना हुई है उसका बाइक चालक सारा पैसा देगा। लेकिन पुलिस ने कोई पैसा रीता को नहीं दिलवाया। रीता ने पैसे की मांग की तो कहा गया कि पैसा बाद में मिलेगा। रीता ने बताया कि वह लोग मजदूरी करते हैं। उनके पास पैसा नहीं था। वह रत्नाकर बाकती को लेकर एमजीएम अस्पताल आई। एमजीएम अस्पताल में मरहम पट्टी करने के बाद डॉक्टरों ने रत्नाकर को टीएमएच या रांची के रिम्स अस्पताल ले जाने को कहा। रीता ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं। इसलिए वह टीएमएच नहीं ले जा सकती। क्योंकि वहां बिना पैसे के रत्नाकर को इमरजेंसी में भर्ती ही नहीं किया जाएगा। इस पर एमजीएम अस्पताल के डॉक्टरों ने रीता को एंबुलेंस का नंबर दिया। रीता ने बताया कि वह एंबुलेंस के लिए नंबर पर फोन करती रही। लेकिन नंबर लग ही नहीं रहा था। लोगों ने कहा कि इसी नंबर पर फोन करिए। जब फोन लगेगा तभी एंबुलेंस आएगी। रीता ने बताया कि उसने काफी कोशिश की। लेकिन फोन नहीं लगा और थोड़ी देर बाद ही रत्नाकर बाकती के हाथ पैर ठंडे हो गए। उसने डॉक्टर को बुलाया तो डॉक्टर ने रत्नाकर को मृत घोषित कर दिया। इलाज नहीं मिल पाने की वजह से रत्नाकर की जान चली गई। बताते हैं कि एमजीएम अस्पताल में न्यूरो का विभाग ही नहीं है। न्यूरो के डॉक्टर ही नहीं हैं। इसीलिए यहां से गंभीर मरीजों को टीएमएच या रिम्स रेफर कर दिया जाता है। गरीब परिवार के लोग रांची के रिम्स या टीएमएच अपने मरीजों को नहीं ले पाते। और इस तरह मरीज दम तोड़ देते हैं। जबकि दुर्घटना के मामले में ज्यादातर लोगों के सर में चोट लगती है। ऐसे में एमजीएम अस्पताल में न्यूरो सर्जन का नहीं होना एक बड़ा सवाल खड़े करता है।