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मस्जिद जाफरिया रांची में हजरत अली के जन्म दिवस पर जश्न ए मिलाद मौलूद ए काबा मनाया गया

हजरत अली की याद इसलिए मनाओ कि जमाने में बहादुर कौम के नाम से पहचाने जाओ: मौलाना तहज़ीबुल हसन

न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची:
हजरत अली का जन्म मक्के की पवित्र धरती काबे में 13 रजब को हुआ था। आपके लिए दीवारे खाना ए काबा फट गई। आपकी मां हजरत फातिमा बिन्ते असद काबे में दाखिल हुईं और तीन दिन तक रहीं। इसी खाना ए काबा में हजरत अली की पैदाइश हुई। यह बातें मस्जिद जाफरिया रांची के इमाम खतीब हजरत मौलाना हाजी सैयद तहजीब उल हसन रिजवी ने कहीं। वह सोमवार को मस्जिद ए जफरिया में जश्न ए मीलाद मौलूद ए काबा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हजरत अली ने तीसरे दिन आगोश ए रिसालत में आंख खोली। आसमानी किताबों की तिलावत करना शुरू कर दिया। हजरत अली ने दुनिया को यह संदेश दिया कि जिसका प्रतिनिधि अनपढ़ पैदा नहीं हो सकता, उसका नबी और उसका आका हज़रत मोहम्मद कैसे अनपढ़ पैदा हो सकते हैं। हजरत अली ने जीवन भर दीन ए मोहम्मदी के प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभाई। मौलाना तहजीब उल हसन ने आगे कहा कि आप के पिता का नाम हजरत अबू तालिब था। जिन्होंने पैगंबर मोहम्मद और हजरत अली को पाला है। हजरत अली उस बहादुर का नाम है जिसकी बहादुरी पर तमाम सहाबा कराम को नाज है। मौला अली की इल्म का चर्चा पूरी दुनिया में है और रहेगा। अली की याद इसलिए मनाओ कि जमाने में बहादुर कौम के नाम पर पहचाने जाओ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सैयद मेहदी इमाम ने की और संचालन सैयद निहाल हुसैन सरियावी ने किया। जश्न मीलाद का आयोजन अंजुमन जाफ़रिया रांची के द्वारा किया गया। या अली की सदाओं से मस्जिद परिसर गूंज उठा। कलाम पेश करने वालों में क़ासिम अली, मो हसनैन, हसन अली, सैयद समर अली, क़ादिर हुसैन, यावर हुसैन, ताबिश हुसैन, आमोद अब्बास, आगा जफर, सैयद अता इमाम रिजवी, बाकर रजा, मो इमाम शामिल हैं। मौके पर हाजी इकबाल हुसैन, डॉक्टर शमीम हैदर, एस एच फातमी, अशरफ हुसैन, जावेद हैदर, यादगार नकवी, सैयद फराज अब्बास, इकबाल फातमी, हाशिम अली, नदीम रजा, नदीम रिजवी‌ आदि थे।

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