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शुरू नहीं हो सका जोड़ा तालाब के सुंदरीकरण का काम, ठेकेदार भी नहीं गया काली सूची में

शुरू नहीं हो सका जोड़ा तालाब के सुंदरीकरण का काम, ठेकेदार भी नहीं गया काली सूची में
न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची :
जोड़ा तालाब की मरम्मत का काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। रांची नगर निगम ने जोड़ा तालाब की मरम्मत का काम देखने वाली कंपनी सिंघल कंस्ट्रक्शन को जो अल्टीमेटम दिया था, उसकी अवधि खत्म हुए दो महीना हो रहा है। लेकिन, रांची नगर निगम की इंजीनियरिंग शाखा ने ना तो जोड़ा तालाब के सुंदरीकरण का काम कराया और ना ही निर्माण एजेंसी सिंघल को काली सूची में डाला। यही नहीं जोड़ा तालाब के सुंदरीकरण का इससे पहले टेंडर लेने वाली एजेंसी पर भी अनियमितता के आरोप लगे हैं। रांची नगर निगम ने इसकी भी जांच नहीं कराई है। इससे रांची नगर निगम की इंजीनियरिंग शाखा की काफी बदनामी हो रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जिस एजेंसी को पहले काम मिला था। उसने कितना काम कराया। उसे कितना रुपया दिया गया। इसकी जांच होनी चाहिए और एजेंसी पर कार्रवाई होनी चाहिए। वरना अनियमितता का यह खेल यूं ही चलता रहेगा और जनता के टैक्स की बर्बादी होती रहेगी।
जोड़ा तालाब को करम टोली तालाब की तर्ज पर सुंदर बनाने की योजना तैयार की गई थी। इसका प्राक्कलन भी तैयार था‌। बताते हैं कि दो करोड़ रुपये इस पर खर्च करने थे। लेकिन, जिस एजेंसी को काम मिला था। वह थोड़ा बहुत काम करके चली गई। उसे कितनी रकम दी गई। एजेंसी ने कितना काम किया। रांची नगर निगम की इंजीनियरिंग शाखा के अधिकारी जनता से यह बात छिपा रहे हैं। एजेंसी के चले जाने के बाद दूसरी एजेंसी सिंघल कंस्ट्रक्शन को लगभग 80 लाख रुपये में जोड़ा तालाब की मरम्मत का काम दिया गया। लेकिन सिंघल कंपनी भी काम आगे नहीं कर पा रही है। नगर निगम के इंजीनियरिंग शाखा के अधिकारियों ने दो महीना पहले जोड़ा तालाब का निरीक्षण किया था और कार्यकारी एजेंसी को अल्टीमेटम दिया था कि वह 15 दिन के अंदर काम शुरू करे। वरना उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि जोड़ा तालाब के मामले में बड़ा घोटाला हुआ है‌। अगर इसकी जांच हुई तो सारा मामला खुल कर सामने आ जाएगा। इसीलिए रांची नगर निगम की इंजीनियरिंग शाखा जोड़ा तालाब के मामले को दबाए हुए है। चौड़ा तालाब के सुंदरीकरण का काम कितनी लागत से होना था। पहले किस एजेंसी को काम दिया गया। उसने कितना काम किया। वह क्यों काम छोड़कर भागी। उस पर क्या कार्रवाई हुई। एजेंसी को कितनी रकम दी गई थी और उससे रकम की वसूली हुई या नहीं हुई। अगर जोड़ा तालाब के सुंदरीकरण के मामले में गड़बड़ी हुई है तो इस मामले में प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज कराई गई। विभागीय कार्रवाई क्यों नहीं हुई। यह बहुत सारे सवाल हैं, जिसे जनता जानना चाहती है। लेकिन नगर निगम की इंजीनियरिंग शाखा इन सब तथ्यों को छुपाने और मामले की लीपापोती में ही लगी हुई है।

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