रांची नगर निगम ने महिन्द्रा ऑर्किड सेंटर प्वाइंट होटल को किया सील
लक्ष्मी टॉवर पर चलेगा बुल्डोजर, नगर आयुक्त मुकेश कुमार की कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची : अवैध निर्माण के खिलाफ रांची नगर निगम का अभियान जारी है। रांची नगर निगम ने मेन रोड पर अंजुमन प्लाजा के नजदीक महिन्द्रा ऑर्किड सेंटर प्वाइंट होटल को सील कर दिया। इस इमारत का आवासीय नक्शा पास है। जबकि, इसका व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहा है। यही नहीं, नक्शा चार मंजिल तक का ही पास कराया गया है। मगर, यहां पांचवीं मंजिल का भी निर्माण कर नक्शा का उल्लंघन किया गया है। इन आरोपों पर रांची नगर निगम के नगर आयुक्त मुकेश कुमार की कोर्ट में केस चल रहा था। कोर्ट के आदेश पर रांची नगर निगम ने मंगलवार को सीलिंग की ये कार्रवाई की है। रांची नगर निगम ने इमारत की दूसरी मंजिल से पांचवीं मंजिल तक सील कर दी है।
रांची नगर निगम कोकर के लक्ष्मी टॉवर पर भी कार्रवाई करेगा। कोकर स्थित लक्ष्मी टॉवर में बिल्डर की ओर से निगम को दान में दी गई जमीन पर निर्माण कर लिया गया है। इसी निर्माण को बुधवार या गुरुवार को हटाया जाएगा।
मेन रोड स्थित होटल सेंटर प्वाइंट (महिंद्रा आर्केड भवन) में हुए विचलन को तोड़ने का आदेश नगर आयुक्त मुकेश कुमार की कोर्ट ने दिया है। साथ ही पांच लाख जुर्माना भी लगाया है। आदेश में होटल सेंटर प्वाइंट के संचालकों को 30 दिन का समय दिया गया है। इसमें कहा गया है कि संचालक खुद से अवैध निर्माण को तोड़ लें, नहीं तो निगम खुद ही विचलन तोड़कर हटाएगा और उसमें खर्च हुई राशि की वसूली भवन मालिक से की जाएगी
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गलत हलफनामा देकर कोर्ट को 20 साल तक उलझाए रखा
वर्ष 2001 में तत्कालीन रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) में सेंटर प्वाइंट (महिंद्रा आर्केड भवन) अनधिकृत निर्माण का मामला दर्ज हुआ था। मामले की सुनवाई के बाद आरआरडीए ने महिंद्रा आर्केड भवन में हुए विचलन को तोड़ने का आदेश दे दिया। आरआरडीए आदेश के खिलाफ प्रतिवादी गृह वास्तु गृह निर्माण सहयोग समिति के अध्यक्ष संजय जायसवाल, विनोद कुमार जायसवाल, सचिव राजेश मिश्रा, स्व. शिव नारायण मिश्रा द्वारा अपीलीय न्यायाधिकरण (ट्रीब्युनल) में अपील दायर की गई। अपीलीय न्यायाधिकरण ने आरआरडीए के आदेश को बरकरार रखा। अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश के विरूद्ध प्रतिवादी ने साल 2007 में झारखंड हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट में प्रतिवादी द्वारा यह शपथ पत्र दिया गया कि दिनांक 25 सितंबर 2018 को उनके द्वारा रांची नगर निगम में संशोधित बिल्डिंग प्लान के लिए आवेदन दिया गया है। प्रतिवादी के इस शपथ पत्र पर हाईकोर्ट ने 23 अक्टूबर 2018 को यह आदेश पारित किया कि यदि प्रतिवादी द्वारा संशोधित बिल्डिंग प्लान आवेदन दिया गया है तो नगर निगम सबसे पहले उसका निष्पादन करे। रांची नगर निगम के नगर निवेशन शाखा में बहुत खोजबीन के बाद भी प्रतिवादी द्वारा दिए गए संशोधित बिल्डिंग प्लान आवेदन नहीं मिला। इसके बाद निगम ने प्रतिवादी को नोटिस भेजकर संशोधित बिल्डिंग प्लान आवेदन की पावती (कॉपी) रांची नगर निगम को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। जवाब में प्रतिवादी ने नगर निगम को बताया कि उसने संशोधित बिल्डिंग प्लान के लिए आवेदन आरआरडीए में दिनांक 25 जून 2007 को जमा किया था। मतलब प्रतिवादी ने झारखंड हाईकोर्ट में गलत शपथ पत्र दायर कर अदालत को गुमराह किया कि उसके द्वारा नगर निगम में संशोधित बिल्डिंग प्लान के लिए आवेदन दिया गया है। इतना ही नहीं जब निगम ने आरआरडीए में इसकी खोजबीन कराई तो पता चला कि प्रतिवादी ने वहां भी आवेदन नहीं किया है। इसके बाद प्रतिवादी ने मामले को और लंबा खींचने के लिए वर्ष 2018 में रांची नगर निगम में एक ऑन लाइन भवन प्लान जमा किया। लेकिन आवेदन के साथ निर्धारित शुल्क नहीं जमा किया। प्रतिवादी ने सिर्फ खानापूरी के लिए ऐसा किया। क्योंकि नक्शा शुल्क जमा नहीं करने के कारण सॉफ्टवेयर ने आवेदन को ऑटोमैटिक रिजेक्ट कर दिया। ऐसे में नगर आयुक्त की कोर्ट ने आरआरडीए और ट्रिब्युनल के आदेश को बरकार रखते हुए आठ सितंबर को महिंद्रा आर्केड भवन के निर्माण में किए गए विचलन के अंश को तोड़ने का आदेश दिया।