रांची में छह महीने में 111 शिशुओं की मौत
सबसे अधिक बेड़ो, बुंडू और सिल्ली में काल के गाल में समाए मासूम
न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची : झारखंड में भले ही शिशु मृत्यु दर कम हुई है, लेकिन राजधानी रांची में बच्चों (एक से पांच वर्ष) की मौत के जो आंकड़े हैं वो चौंकाने वाले है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद जिले में 111 शिशुओं की मौत हो गई। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पिछले छह माह में 25 शिशु की मृत्यु अधिक हुई। इस वर्ष अप्रैल से लेकर सितंबर तक 111 बच्चों की मौत हुई। जिसमें से सर्वाधिक मौत रांची के बेड़ो, बुंडू और सिल्ली प्रखंडों में हुई, यहां हर प्रखंड में 19-19 नवजात की मौत हुई। इन तीनों प्रखंडों में 57 बच्चों की मौत डायरिया, निमोनिया, संक्रमण, बुखार, खसरा व कुछ अज्ञात बीमारी से हुई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष से लेकर अब तक 283 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि इसमें चार नवजात शिशु की मौत का कारण सेप्सिस है जो अस्पताल की लापरवाही के कारण संक्रमण फैलने से हुई। इसमें रातू से तीन और सोनाहातू से एक नवजात शामिल है। इसके अलावा जन्म के 24 घंटे के अंदर 22 बच्चों की पिछले छह माह में मौत हुई।
डीआरसीएचओ एसबी खलखो बताते हैं कि राज्य में शिशु मृत्यु दर घट कर 27 हो गई है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र में 28 और शहरी क्षेत्र में 23 प्रतिशत है। मृत्यु दर घट रहा है। जो कमियां है उसे दूर किया जा रहा है, लगातार इम्यूनाइजेशन का काम हो रहा है, जन्म लेने के बाद बच्चों के लिए एक साल का निश्शुल्क इलाज की व्यवस्था की गई है। साथ ही नर्सिंग स्टॉफ से लेकर डाक्टरों की लगातार ट्रेनिंग कराया जाता है।
जिन नवजात की मौत सेप्सिस के कारण हुई है उस पर शिशु रोग विशेषज्ञ डा राजेश बताते हैं कि सेप्सिस एक खतरनाक जानलेवा बीमारी है। यह एक संक्रामक घातक रोग है लेकिन ब्लड बैक्टीरिया के संक्रमण द्वारा फैली बीमारी यानी सेप्सिस जानलेवा भी साबित हो सकती है। अगर बच्चे के जन्म के बाद बच्चे को बेहतर तरीके से केयर नहीं किया जाता संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
बच्चों के टीके का लक्ष्य नहीं हो रहा पूरा
जिले में बच्चों के इम्यूनाइजेशन की बात की जाए तो बच्चों को टीकाकरण पूरा नहीं हो पा रहा है। जो लक्ष्य है उसे पूरा नहीं किया जा पा रहा है। पिछले माह ही अक्टूबर में करीब 33 प्रतिशत ही टीकाकरण हो सका। जबकि इसके लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। दूसरी ओर कोरोना के कारण पिछले वर्ष से ही बच्चों का सामान्य टीकाकरण का प्रतिशत ही कम रहा था। इसमें मुख्य टीका बच्चों को जरूर लगा, लेकिन अन्य टीके समय पर नहीं लग सके।
कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाना है बच्चों को
डाक्टरों के मुताबिक कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों को सुरक्षित रखने पर जोर दिया जा रहा है। डा राजेश बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि परिवार के जितने भी बड़े सदस्य हैं वो कोरोना वैक्सीन की पूरी डोज ले लें ताकि हार्ड इम्यून बन सके। इससे बच्चों को लाभ मिलेगा। वे सुरक्षित रहेंगे। साथ ही कोरोना गाइडलाइन का पालन करें व बच्चों को भीड़ से बचाकर रखें व समय पर बच्चों का टीकारण पूरा कराए।
रांची जिले के विभिन्न प्रखंडों में कितने शिशु की हुई मृत्यु
प्रखंड शिशु मृत्यु 2020-21 शिशु मृत्यु सितंबर 2021तक
अनगड़ा 12 01
बेड़ो 10 19
बुंडू 37 19
बुड़मू 07 01
चान्हो 03 13
कांके 07 00
लापुंग 00 02
मांडर 04 00
नामकुम 29 04
ओरमांझी 01 05
रातू 10 08
सिल्ली 17 19
सोनाहातू 27 14
तमाड़ 08 06
कुल 111 172