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रैयतों की भूमि को एनजीडीआरएस की प्रतिबंधित भूमि की सूची से अविलंब मुक्त किया जाए : सीपीआई

रैयतों की भूमि को एनजीडीआरएस की प्रतिबंधित भूमि की सूची से अविलंब मुक्त किया जाए : सीपीआई

रांची ही नहीं पूरे झारखंड में आंदोलन करने की चेतावनी

न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची :
सीपीआई के राज्य सचिव सह पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने रैयतों की भूमि को एनजीडीआरएस (नेशनल चैनल डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम) की प्रतिबंधित भूमि की सूची से अविलंब मुक्त कराने के संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। भुवनेश्वर मेहता ने बताया कि एनजीडीआरएस प्रतिबंधित भूमि की सूची को नियमतः सभी उपायुक्तों को एनजीडीआरएस पोर्टल पर अपलोड कर देना चाहिए था। लेकिन किसी अप्रत्यक्ष लाभ की लालच में वैसे खाता एवं खेसरा नंबर को भी जोड़ दिया गया है, जो सभी जांच के बाद राजस्व विभाग के रजिस्टर नंबर दो में काफी लंबे समय से दर्ज है। इसकी लगान रसीद भी रैयतधरी के नाम से कट रही है। इसके बावजूद इसे एनजीडीआरएस पोर्टल की सूची में अपलोड कर दिया गया है। इस संबंध में पहले भी सभी उपायुक्तों को इसकी जांच कराने के बाद ऐसी भूमि को सूची से मुक्त करने की मांग भी की गई है। लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे साफ लगता है कि अंचलाधिकारी और उपायुक्त इससे अवैध उगाही करना चाहते हैं। भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि इस संबंध में दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त को भी पत्र लिखा गया था। इसके बाद प्रमंडलीय आयुक्त ने उपायुक्त को इस पर नियम सम्मत कार्रवाई कर कार्यालय को अवगत कराने का निर्देश दिया था। लेकिन, फिर भी कोई पहल नहीं हुई। भुवनेश्वर मेहता ने अपनी मांग के विषय में कहा कि 2018 की इस प्रतिबंधित सूची को खत्म कर नई सूची बनवाई जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो सिर्फ रांची ही नहीं पूरे झारखंड में आंदोलन किया जाएगा। भुनेश्वर महतो का कहना है कि रैयत की जमीन प्रतिबंधित सूची में डाल देने से उनकी जमीन की रजिस्ट्री नहीं होती। बाद में लोग अधिकारियों के पास भागदौड़ करते हैं, निबंधन विभाग में रुपयों की मांग की जाती है। रुपया देने पर ही जमीन की रजिस्ट्री होती है। इसलिए भ्रष्टाचार रोकने के लिए
एनजीडीआरएस पोर्टल की सूची की जांच की जरूरत है और इसमें से रैयतों की जमीन को निकालने की जरूरत है। गौरतलब है कि एनजीडीआरएस पोर्टल 2018 में बनाया गया था। सबसे पहले जमशेदपुर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत हुई थी। बाद में 2019 में रांची में भी प्रतिबंधित सूची बनाकर एनजीडीआरएस पोर्टल में सरकारी जमीन के नंबर सूची में डाले गए हैं। जिन जमीनों के नंबर इस सूची में डाले गए हैं, उसकी रजिस्ट्री नहीं हो सकती। निबंधन विभाग का सॉफ्टवेयर इसे अस्वीकार कर देता है। गौरतलब है कि एनजीडीआरएस पोर्टल में सरकारी जमीनों के नंबर डाले जाने थे। लेकिन रैयतों का आरोप है कि गलती से उनकी जमीन के नंबर इसमें डाल दिए गए हैं। रांची में रैयत एनजीडीआरएस पोर्टल की सूची से अपनी जमीन के नंबर हटाने के लिए कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं।

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