रांची में इस बार फूटेंगे 99 प्रतिशत ग्रीन पटाखे
पटाखों की कीमत में 10-20 प्रतिशत का आई उछाल, पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष अच्छे कारोबार की उम्मीद
न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची : पिछले साल राजधानी रांची में दीपावली पर कोरोना संक्रमण की छाया रही, तो राज्य सरकार द्वारा ग्रीन पटाखों की बिक्री को लेकर जारी किए गए आदेश के बाद पटाखा बाजार पर अच्छा-खास असर पड़ा था। पिछली दीपावली में पटाखा बाजार पर 40-50 प्रतिशत
का असर पड़ा था। हालांकि इस बार राज्य सरकार द्वारा कोरोना काल में कुछ अतिरिक्त छूट देने के बाद जिस उल्लासपूर्ण माहौल में दुर्गापूजा और दशहरा संपन्न हुआ, उसे देखते हुए पटाखा व्यवसायी इस बार अच्छे कारोबार की उम्मीद कर रहे हैं। इसके साथ ही इस दीपावली में 99 प्रतिशत ग्रीन पटाखों की धमक रहेगी। इधर, मोरहाबादी सहित शहर के अन्य स्थानों पर पटाखे की बिक्री को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। तीन-चार दिनों में पटाखों की बिक्री भी शुरू हो जाएगी। हालांकि पटाखा व्यवसायियों का कहना कि पिछले साल के मुकाबले इस बार पटाखों की कीमत में 10-20 प्रतिशत का उछाल आया है। बता दें कि शहर में पटाखों की आवक तमिलनाडु के शिवकाशी से होती है।
कारोबारियों ने 10-15 दिन पहले ही मंगवा लिए हैं पटाखे : इस बार बेहतर कारोबार की उम्मीद को लेकर कारोबारियों ने शिवकाशी से पटाखों की आवक को लेकर एक-डेढ़ माह पूर्व ही पटाखों का ऑर्डर दे दिया गया था। विगत 10-15 दिन पहले पटाखों की आवक भी हो गई है। इस बार प्रदूषण फैलाने वाले सामान्य पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखों पर ही जोर है। हालांकि ग्रीन पटाखे पिछले साल भी मंगाए थे। लेेकिन कोरोना संक्रमण के कारण बाजार पर असर पड़ने के कारण इनकी बिक्री में गिरावट आई थी।
क्या हैं ग्रीन पटाखे
पटाखा व्यवसायी मनोज कुमार चौधरी और विवेक साहू के मुताबिक तय सीमा में आवाज और कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों को इको फ्रेंडली पटाखा या ग्रीन पटाखा कहा जाता है। सामान्य पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखों में बारूद का कम इस्तेमाल होता है। इस वजह से इसमें धुआं कम और रोशनी अधिक होती है। दूसरे शब्दों में कहा जाय, तो ग्रीन पटाखे और सामान्य पटाखों में अधिक अंतर नहीं होता है। लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है।
40 से 50 प्रतिशत तक कम हानिकारक गैस पैदा करते हैं ग्रीन पटाखे
इको फ्रेंडली या ग्रीन पटाखे जलने के बाद 40 से 50 प्रतिशत तक कम हानिकारक गैस पैदा करते हैं। इसमें सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड का इस्तेमाल कम मात्रा में किया जाता है। जिससे यह पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाता है।
सामन्य पटाखें क्यों हैं नुकसानदायक
पर्यावरण एवं शरीर की सुरक्षा की दृष्टि से सामान्य पटाखे ग्रीन पटाखों की अपेक्षा नुकसानदायक हैं, क्योंकि इसे जलाने से सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन गैस भारी मात्रा में निकलती हैं। सामान्य पटाखों के स्मॉग से सांस फूलने, खांसी, आंख व गले में संक्रमण, घबराहट, हृदय और फेफड़े संबंधी दिक्कतों का सामना लोगों को करना पड़ता है। ऐसे पटाखों से छोटे बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं एवं रोगियों को काफी तकलीफ होती है।
बाजार में ग्रीन पटाखों का रेट (रुपये में)
फुलझड़ी (प्रति पैकेट) : 30 से 170
चकरी (प्रति पैकेट) : 60 से 300
अनार (प्रति पैकेट) : 130 से 380
एरियल आइटम (प्रति पैकेट) : 150 से 1500