न्यूज़ बी: मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सीटी कुरियन का निधन हो गया है। सीटी कुरियन की उम्र 93 साल थी। उम्र अधिक होने की वजह से वह बीमार रहते थे और रात 11:00 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। कुरियन ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से 1953 में इकोनॉमिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की थी।
गरीबी खत्म करना चाहते थे सीटी कुरियन
सीटी कुरियन ने अर्थशास्त्र को इसलिए चुना था, क्योंकि वह गरीबी खत्म करना चाहते थे। सीटी कुरियन बताते थे कि वह अर्थशास्त्र समझने के बाद दुनिया से गरीबी दूर करने की कोशिश करेंगे। लेकिन बाद में उन्हें काफी निराशा हुई। क्योंकि अर्थशास्त्रियों में गरीबी खत्म करने के लिए कोई संजीदा बहस नहीं हो रही थी। बाद में उन्होंने अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा हासिल करने का फैसला किया। उन्होंने 1963 में इस स्टैंड फोर्ड यूनिवर्सिटी से ‘फैक्टर मार्केट’ “स्ट्रक्चर एंड टेक्नोलॉजिकल करैक्टेरिस्टिक्स ऑफ़ एन डेवलप्ड कंट्री एंड इंडियन केस स्टडी” में पीएचडी किया था।
इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन के निदेशक बने थे कुरियन
कुरियन 1968-69 में जब यूनिवर्सिटी में विजिटिंग फेलो थे। साल 1962 से साल 1978 तक वह मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में प्रोफेसर रहे। साल 1978 से साल 1991 तक वह मद्रास इंस्टीट्यूट आफ डेवलपमेंट स्टडीज में प्रोफेसर थे। बाद में साल 2000 में वह इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बने गए।
सीटी कुरियन ने लिखी हैं 15 किताबें
सीटी कुरियन ने अर्थशास्त्र पर 15 किताबें लिखी हैं। अपनी एक किताब में सीटी कुरियन लिखते हैं कि अपनी जिंदगी के शुरुआत में ही उन्हें पता चल गया था की एक कंफरटेबल लाइफ के चारों तरफ घनी गरीबी है। उनके लेख में गरीबी एक बड़ा विषय होता था। वह कहा करते थे कि यह कहना गलत है कि जब उन्नति होगी तो गरीबी खुद ब खुद खत्म हो जाएगी। अपनी एक किताब व्हाट इज ग्रोथ में उन्होंने गरीबों पर लंबा चौड़ा डिस्कशन किया है।