जमशेदपुर: अल्पसंख्यक विद्यालय शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति में मनमानी कर रहे थे। सरकार ने शिकंजा कसा तो बौखला गए हैं। सरकार के नए निर्देश के अनुसार अल्पसंख्यक विद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि की देखरेख में पूरी करने का प्रावधान है। अल्पसंख्यक विद्यालय इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया के लिए शिक्षा विभाग के एक प्रतिनिधि की मौजूदगी की जो शर्त लगाई है, वह ठीक नहीं है। इसे वापस लिया जाए। सवाल इस बात का है कि अभी कहीं से कोई ऐसा मामला सामने नहीं आया, जिसमें शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि ने कुछ गलत किया हो। तो अगर सरकार नियुक्ति प्रक्रिया की निगरानी कर रही है तो इसमें गलत क्या है।
इसके साथ ही अल्पसंख्यक विद्यालय शिक्षक और कर्मचारियों की नियुक्तियों के विज्ञापन से पहले जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा पूर्व अनुमति प्राप्त करने के निर्देश का भी विरोध कर रहे हैं। यही नहीं नियुक्ति का फैसला हो जाने के बाद शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों की विद्यालय में तैनाती जिला शिक्षा विभाग के अनुमोदन के बाद ही हो सकेगी। सरकार ने निर्देश दिया है कि जब तक जिला शिक्षा विभाग नियुक्तियों का अनुमोदन नहीं कर देता तब तक कर्मचारी या शिक्षक विद्यालय में योगदान नहीं करेंगे। इसका भी अल्पसंख्यक विद्यालय विरोध कर रहे हैं। जबकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। सरकारी नियंत्रण होने से नियुक्ति को लेकर लोग डरते हैं और नियमानुसार सही नियुक्ति होती है। इसलिए अल्पसंख्यक विद्यालयों को इसका विरोध नहीं करना चाहिए। एसोसिएशन आफ माइनॉरिटी एजुकेशन के सदस्यों ने शुक्रवार को जिला शिक्षा अधिकारी से मिलकर सरकार को ज्ञापन भेजा और अल्पसंख्यक स्कूलों पर से सरकारी नियंत्रण खत्म करने की मांग की।