न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची : झारखंड देश का सर्वाधिक लाख उत्पादन करने वाला राज्य बन गया है। राज्य में सबसे ज्यादा लाख का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा गोंद का भी उत्पादन बढ़ गया है। देश में साल में 20000 टन लाख का उत्पादन होता है। इसमें से 65 फीसद लाख विदेशों को निर्यात कर दी जाती है। विश्व स्तर पर लाख की मांग निरंतर बढ़ रही है। लाख के निर्यात से झारखंड को काफी विदेशी मुद्रा मिलती है। लाख के अलावा राज्य में कुसुम, बेर और पलाश भी बहुतायत से होता है। इनका उपयोग लाख की खेती में नहीं हो पा रहा है। अब इसका उपयोग लाख की खेती में करने की कवायद शुरू है। इससे लाख उत्पादन और बढ़ेगा। शनिवार को राजधानी स्थित प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान द्वारा आयोजित किसान प्रदर्शनी में विशेषज्ञों ने यह बात बताई। बताया गया कि गोंद संस्थान लाख का उत्पादन तेजी से बढ़ाने की कवायद शुरू कर चुका है। लाख एक ऐसा प्राकृतिक उत्पाद है, जिसका बिजली उद्योग, कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, पेंट उद्योग आदि में इस्तेमाल होता है। प्रदर्शनी में बतौर मुख्य अतिथि आए प्रदेश के राज्यपाल रमेश बैस ने किसानों से लाख की खेती को बढ़ावा देने और अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए लाख की खेती अपनाने की सलाह दी। कहा गया कि सरकार जल्द ही लाख के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने जा रही है। भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान की तरफ से लाख से बने हुए मूल्यवान पदार्थों का प्रदर्शन किया गया। राज्यपाल रमेश बैस ने किसानों से अपील की कि वह सब्जी, फूल आदि के उत्पादन के साथ ही लाख की खेती को भी अपनाएं। उन्होंने कहा कि संस्थान लाख की वैज्ञानिक खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित करता है। यहां से किसानों को छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र आदि जगहों पर भी भेजा जाता है।