न्यूज़ बी रिपोर्टर, जमशेदपुर : साकची के एमजीएम अस्पताल परिसर में 8 करोड रुपए की लागत से बनाए गए चार में एक मेकशिफ्ट कोविड वार्ड मरीजों के लिए उपयुक्त है या नहीं। सरकार ने इसकी जांच कराने का फैसला लिया है। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव के आदेश के बाद डीसी ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। इस जांच टीम में एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक अरुण कुमार, भवन निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता और अग्निशमन विभाग के अधिकारी शामिल हैं। टीम इस बात की जांच करेगी की मेक शिफ्ट अस्पताल मरीजों के लिए उपयुक्त है या नहीं। कहीं इस अस्पताल में मरीजों की जान का खतरा तो नहीं है। यह टीम मेकशिफ्ट अस्पताल की तकनीकी तौर पर जांच कर रिपोर्ट डीसी को सौंपेगी। डीसी इसे स्वास्थ्य विभाग को भेजेंगे। गौरतलब है कि इस मेकशिफ्ट अस्पताल के एक वार्ड में ब्लास्ट हो गया था। ब्लास्ट के बाद से ही इस अस्पताल की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग गया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि अब अधिकारी इस बात से डरे हुए हैं कि कहीं इस अस्पताल में मरीजों की भर्ती हो और उसी तरह का ब्लास्ट हो जाए तो मरीजों की जान पर बन आएगी। इसीलिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह ठोक बजाकर ही इस अस्पताल को हैंडओवर लेने की सोच रहा है। ब्लास्ट के बाद इस अस्पताल की गुणवत्ता भी सवालों के दायरे में है। जांच टीम ने शनिवार को मेकशिफ्ट अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद इसके निर्माण में लगी एजेंसी के कर्मचारियों से पूछताछ भी की है। पूछताछ में पता चला है कि मेकशिफ्ट अस्पताल को बनाने में चाइनीज इक्विपमेंट का इस्तेमाल किया गया है। जिस की गुणवत्ता खराब है। यही नहीं कोविड के मरीजों के लिए जो बेड लगाए गए हैं वह भी ज्यादा दूर दूर नहीं है। जबकि कोविड के मरीजों के लिए दूरी बहुत महत्वपूर्ण है।