राजधानी रांची में अवैध भवनों की भरमार, बिना नक्शे की हैं 188232 इमारतें
रांची में सिर्फ 12768 इमारतों का ही पास है नक्शा, सिरदर्द बने हुए हैं अवैध भवन
201000 इमारतें हैं राजधानी रांची में
188232 इमारतों का नहीं पास है नक्शा
12768 इमारतों का ही पास है नक्शा
70 व्यवसायिक इमारतों (अपर बाजार) में नहीं है पार्किंग की व्यवस्था
2009 से रांची नगर निगम पास कर रहा है नक्शा
2016 से रांची नगर निगम में नक्शा पास करने की प्रक्रिया हुई आनलाइन
10 दिन में अब मंजूर कर दिए जाते हैं नक्शे
14 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से नक्शा पास कराने में देना पड़ता है लेबर सेस
तीन रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से नक्शा पास कराने में नगर निगम लेता है शुल्क
न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची : राजधानी में अवैध भवनों की भरमार है। यहां लगभग एक लाख 88 हजार 232 इमारतें बिना नक्शे की बनाई गईं हैं। राजधानी में सिर्फ 12768 भवनों के पास ही स्वीकृत भवन प्लान है। बिना नक्शे के बने अवैध भवन मकान मालिकों के साथ ही सरकार और नगर निगम के लिए भी सरदर्द बने हुए हैं। आए दिन इन पर कार्रवाई का खाका तैयार होता है। मगर, इनकी संख्या अधिक होने की वजह से कार्रवाई नहीं हो पाती।
राजधानी में लगभग दो लाख एक हजार इमारतें हैं। इनमें से 12768 इमारतों का ही नक्शा पास है। नक्शा पास नहीं होने की वजह से शहर का नक्शा बिगड़ा हुआ है। रांची में अवैध व्यवयासिक इमारतों की भी खासी संख्या है। इसके चलते शहर की यातायात व्यवस्था चौपट है। व्यवसायिक इमारतों में बेसमेंट या ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग होनी चाहिए। मगर, शहर की कुछ इमारतों में ही ये सुविधा है। हाई कोर्ट के निर्देश पर हाल ही में नगर निगम ने सर्वे कर अपर बाजार की ऐसी 70 व्यवसायिक इमारतों की सूची तैयार की है जिनमें पार्किंग की सहूलियत नहीं है। अवैध मकानों की वजह से शहर में नागरिक सुविधाओं की स्थिति दोयम दर्जे की हो गई है। रांची नगर निगम को ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त करने में तमाम असुविधाएं हो रही हैं। इधर बीच हाई कोर्ट के निर्देश पर नगर निगम ने अवैध इमारतों के खिलाफ अभियान शुरू किया था। कई इमारतों के मालिकों को नोटिस भी जारी की गई थी। जिला प्रशासन ने कुछ अवैध मकान तोड़े भी हैं। कुछ लोग हाई कोर्ट गए हैं और वहां मामला लंबित है। इस तरह, अवैध भवनों के मालिक इन दिनों सांसत में हैं।
12 साल में पास हुए 8768 नक्शे
रांची नगर निगम ने साल 2009 से नक्शा पास करने का काम शुरू किया है। इससे पहले नक्शा पास करने का काम आरआरडीए के पास था। साल 2009 से पहले आरआरडीए ने लगभग 4000 नक्शे पास किए थे। इस तरह रांची नगर निगम ने 12 साल में अब तक आठ हजार 768 के करीब नक्शे पास किए हैं। रांची नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि एक साल में लगभग 800 नक्शे स्वीकृत किए जाते हैं।
अब 10 दिन के अंदर पास हो रहे नक्शे
रांची नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि 2016 से नक्शा पास करने की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। अब जी प्लस टू इमारत के नक्शे 10 दिन के अंदर पास कर दिए जाते हैं। जबकि अपार्टमेंट और बहुमंजिला इमारतों के नक्शे पास करने में महीने भर का समय लगता है। क्योंकि इसकी लंबी प्रक्रिया होती है। इसमें रांची नगर निगम के इंजीनियर को लंबी जांच पड़ताल करनी पड़ती है। आसान प्रक्रिया होने से नक्शे के पास होने की रफ्तार इधर बीच बढ़ी है।
नक्शा पास कराने में सबसे महंगा लेबर सेस
नक्शा पास कराने के लिए रांची नगर निगम में लोग आवेदन करते हैं इसका शुल्क निर्धारित है रांची नगर निगम तो बेहद कम शुल्क लेता है लेकिन श्रम विभाग को अधिक शुल्क जाता है रांची नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि ₹3 प्रति वर्ग फीट के हिसाब से रांची नगर निगम का शुल्क है जबकि ₹14 प्रति वर्ग फीट के हिसाब से लेबर सेस लिया जाता है जो सीधे श्रम विभाग को जाता है लेबर सेस के रूप में ली जाने वाली रकम से श्रमिकों की बेहतरी के लिए योजनाएं चलाई जाती है मसलन अगर किसी को 1000 वर्ग फीट की एक मंजिल इमारत की नक्शा पास कराना है तो उसे ₹3000 नगर निगम को और ₹14000 लेबर सेस के तौर पर देने होंगे। इस तरह कुल ₹17000 का खर्च आएगा।
नक्शा पास कराने के लिए खतियान व म्युटेशन जरूरी
रांची नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि अब नक्शा पास कराने के लिए खतियान और म्यूटेशन जरूरी है। इसके अलावा होल्डिंग नंबर, जमीन के कागजात के तौर पर सेल डीड, रेंट रसीद और अगर आदिवासी जमीन है तो उस पर सक्षम प्राधिकार का सीएनटी फ्री की अनुमति भी चाहिए।
बहुमंजिला इमारतों का नक्शा पास करते हैं नगर आयुक्त
रांची नगर निगम में किसी भी इमारत का नक्शा पास करने का आवेदन जमा होने के बाद यह देखा जाता है कि इमारत कितने मंजिल की है।अगर कोई भी भवन जी प्लस टू है, यानी ग्राउंड फ्लोर के ऊपर 2 मंजिल बनाई जानी हैं, तो इसका नक्शा टाउन प्लानिंग शाखा मंजूर करती है। लेकिन अगर बहुमंजिला भवन है तो आवेदन नगर आयुक्त के पास भेज दिया जाता है और नगर आयुक्त ही पूरी प्रक्रिया की निगरानी करने के बाद नक्शा स्वीकृत करते हैं।
अब भी बन रहे अवैध मकान
राजधानी में अब भी अवैध इमारतों का निर्माण तेजी से चल रहा है। नई बस्तियां बस रही हैं। बिना नक्शे के लोग मकान बना रहे हैं। अवैध इमारतों के होने की वजह से इन बस्तियों में सड़कों और नाली के निर्माण में काफी दिक्कत आती है। वार्ड पार्षद किसी तरह इन बस्तियों में सड़क और नाली का निर्माण करा देते हैं। मगर, यहां बनी इमारतों का नक्शा पास नहीं होने की वजह से पूरी बस्ती अनियमित तौर पर ही विकसित होती है। इससे यहां अन्य विभागों को भी नागरिक सुविधा के लिए आधारभूत संरचना कायम करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
होनी चाहिए विधि सम्मत कार्रवाई
झारखंड के रिटायर्ड आइएएस अधिकारी एके सिंह कहते हैं कि राजधानी ही नहीं पूरे प्रदेश में बिना नक्शा के मकान बनाए गए हैं। राजधानी रांची में अवैध मकानों की संख्या अधिक है। इस वजह से काफी दिक्कत होती है। इससे बस्तियों का अनियमित विकास होता है। सरकार को इस मामले में विधि सम्मत कार्रवाई करनी चाहिए। जो इमारतें नियमित करने के लायक हैं उन्हें नियमित करना चाहिए। सरकार को अपना तंत्र मजबूत करना चाहिए ताकि बिल्डर मनमानी नहीं कर सके।