आरएफआईडी चिप से नहीं हो रहा है कचरा उठाव
न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची : राजधानी में साफ सफाई की व्यवस्था हाईटेक नहीं हो पा रही है। नगर निगम ने शहर में अंडर ग्राउंड स्मार्ट डस्टबिन लगाने की बात कही थी। इस पर आठ करोड़ 48 लाख चार हजार रुपये खर्च होने हैं। लेकिन अब तक पांच महीना बीत जाने के बाद भी अब तक शहर में एक भी स्मार्ट डस्टबिन नहीं लगाई जा सकी है। कुछ स्मार्ट डस्टबिन शहर में आई है। लेकिन बरसात में जंग खा रही है। इसी तरह डोर टू डोर कचरा उठाव भी हाईटेक नहीं हो सका है।
नगर निगम की सफाई की व्यवस्था को हाईटेक करने की योजना धरातल पर नहीं उतर पाने से शहर की सफाई व्यवस्था इन दिनों चरमराई हुई है। जगह-जगह कचरे का अंबार दिखाई दे रहा है। स्मार्ट डस्टबिन नहीं लग पाने की वजह से यहां वहां कूड़ा फेंका जा रहा है। इसी तरह डोर टू डोर कचरा उठाव नहीं होने की वजह से घरों में ही कचरा रखा रह जाता है। सभी घरों से प्रतिदिन कचरा उठाव होना है। लेकिन डोर टू डोर कचरा उठाव की गाड़ी हफ्ते में 2 दिन ही पहुंचती है। इस तरह तीन-चार दिन लोगों को मजबूरन घर में कचरा रखना पड़ता है। इससे कचरे से बदबू निकलने से लोग परेशान हैं। कई लोग परेशान होकर घर के बाहर सड़क किनारे कचरा फेंक देते हैं। इससे शहर में गंदगी बढ़ रही है। रांची नगर निगम ने 77 जगहों पर स्मार्ट डस्टबिन लगाने की योजना बनाई थी। कुल 222 स्मार्ट डस्टबिन लगाई जानी थी। एक डस्टबिन की कीमत तीन लाख 82 हजार रुपये है। इस तरह लगभग 8 करोड़ 48 लाख चार हजार रुपये इस योजना में खर्च होने हैं। स्मार्ट डस्टबिन लगाने का टेंडर जोंटा इंफ्राटेक को मिला है। लेकिन कंपनी ने अब तक शहर में एक भी स्मार्ट डस्टबिन नहीं लगाई है। कई लाख रुपए खर्च कर स्मार्ट डस्टबिन भी मंगाई गई। लोगों को बताया गया था कि स्मार्ट डस्टबिन में सेंसर लगा होगा। कचरा भरते ही रांची नगर निगम के कंट्रोल रूम को इसकी सूचना चली जाएगी और उसके बाद हर हाल में कचरा उठाव एजेंसी को करना होगा। डस्टबिन में दो टन तक कचरा जमा करने की क्षमता है। लेकिन अभी तक ना तो स्मार्ट डस्टबिन का सर्वर बना है और ना ही व्यवस्था हाईटेक हुई है। इसी तरह डोर टू डोर कचरा उठाव की हालत भी खस्ता है। दिल्ली की कंपनी सेंटर फॉर डेवलपमेंट ट्रस्ट सीडीसी यह काम कर रही है। कहा गया था कि सभी घर के मालिकों को रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन चिप दी जाएगी। जो भी व्यक्ति कचरा उठाव करने मोहल्लों में जाएगा वह इस चिप के सामने अपनी चिप करेगा। इससे नगर निगम में स्थापित सर्वर को पता चल जाएगा कि उस घर से कचरा उठाव हुआ है। शाम तक यह जानकारी आ जाएगी कि कितने घरों से कचरा उठाव हुआ है और कितने घरों से नहीं हो सका है। लेकिन यह व्यवस्था भी हाईटेक नहीं हो पाई है। सीडीसी कंपनी अभी सभी घरों में रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन चिप नहीं लगा पाई है। इसका सर्वर भी स्थापित नहीं हो पाया है।