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ब्रेस्ट कैंसर में अब पूरे स्तन को हटाने की जरूरत नहीं, बिना हटाए ही कैंसर से जीत सकेंगे जंग : डा संजीत अग्रवाल

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ब्रेस्ट ऑनकोप्लास्टी सर्जरी से हो सकेगा संभव

आईएमए में जुटे कैंसर विशेषज्ञों की टीम

न्यूज़ बी रिपोर्टर, रांची :

स्तन कैंसर में अब पूरे स्तन को हटाने की जरूरत नहीं होगी। नई तकनीक से यह संभव हो पाया है, इसमें ब्रेस्ट ऑनकोप्लास्टी सर्जरी के माध्यम से पूरे ब्रेस्ट को बचाया जा सकता है। पहले स्तन कैंसर में पूरे ब्रेस्ट को निकाल दिया जाता था। लेकिन अब ऐसा करना जरूरी नहीं है। यह बातें टाटा कैंसर अस्पताल कोलकाता के कैंसर विशेषज्ञ डा संजीत अग्रवाल ने शनिवार को आईएमए भवन में  ब्रेस्ट कैंसर पर आयोजित सेमिनार पर कही। उन्होंने बताया कि समय के साथ तकनीक में बदलाव आया है और आधुनिकीकरण में यह अब संभव हो पाया है। झारखंड के संदर्भ में उन्होंने बताया कि यहां 70 प्रतिशत केस ब्रेस्ट कैंसर के तीसरे या अंतिम चरण में आने के बाद पता चलता है। इसे दूर करने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार ग्रामीण स्तर पर, स्कूलों व कॉलेजों में ब्रेस्ट कैंसर पर टॉक शो और जागरूकता अभियान चलाकर इसे कम कर सकती है। मालूम हाे कि अक्तूबर माह ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। इसे लेकर आईएमए और रिंची अस्पताल की ओर से ब्रेस्ट कैंसर पर शनिवार को देर शाम  कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कोलकाता के ही डा दीपक दत्तकारा ने बताया कि अब कैंसर के लिए कई एडवांस दवाएं मौजूद है। जिसके इस्तमाल कर कैंसर का इलाज किया जा सकता है। इसमें आठ से नौ माह का समय लग जाता है। इसमें दवा के साथ-साथ किमियोथैरिपी और रेडियेशन भी जरूरत के हिसाब से मरीजों को दिया जाता है। उन्होंने बताया कि एडवांस स्टेज में मरीज के बचने की उम्मीदें कम हो जाती है लेकिन अगर शुरुआत में इसका पता चल जाए तो इलाज संभव है। उन्होंने यहां के डाक्टरों को बताया कि मरीजों की सही डाइगनोसिस व एडवांस दवाओं को डाक्टर प्रमुखता के साथ दें। इस मौके पर रिम्स से डा अनूप, डा रोहित, डा अभिषेक वर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ डा उषा नाथ, डा आलाम अंसारी, डा स्वेताम कुमार सहित अन्य डाक्टरों ने भी मौजूदा कैंसर के इलाज पर प्रकाश डाला।

300 से 350 महिलाएं हर माह विशेषज्ञ डाक्टरों के पास पहुंच रहीं :

राधजधानी की स्तन कैंसर विशेषज्ञ डा नम्रता महनसरिया ने बताया कि राजधानी में हर विशेषज्ञ डाक्टरों के पास हर माह करीब 25 से 30 महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत को लेकर आ रही हैं। इसके अनुसार, 300 से 350 महिलाएं हर माह ब्रेस्ट कैंसर की जांच कराने पहुंच रहीं हैं। इनमें विवाहित महिलाओं के साथ-साथ अविवाहित महिलाएं भी शामिल हैं। अविवाहित महिलाओं का प्रतिशत काफी कम है, लेकिन इस ग्रुप की महिलाओं में कैंसर को लेकर जागरूकता बढ़ी है। इसके साथ-साथ स्तन की हर गांठ कैंसर नहीं होती, जिस गांठ में दर्द हो उसमें कैंसर के लक्षण नहीं होते। जबकि जिस गांठ में दर्द नहीं होता है और वो बढ़ता जाता है उसमें कैंसर के लक्षण हैं।

भ्रम से बचें महिलाएं :

डा नम्रता बताती हैं कि स्तन में जब गांठ का पता महिलाओं को चलता है तो वे इसे नजरअंदाज कर देती हैं। उन्हें लगता है कि इसमें दर्द नहीं है तो कोई समस्या नहीं होगी। कुछ महिलाएं मानती हैं कि जब वे अपने बच्चे को फीडिंग नहीं करातीं तो इससे भी गांठ होता है, जबकि यह मानना गलत है। ऐसी स्थिति में डाक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए ताकि वक्त रहते इसका इलाज किया जा सके। इन सब में एक बड़ा सामाजिक कारण भी है, जिसमें महिला परिवार के साथ इस पर चर्चा करने में भी असहज महसूस करती हैं। उन्होंने बताया कि कैंसर की जंग जीत चुके लोगों के लिए जीविशा ग्रुप बनाया जा रहा है। जिसमें झारखंड की महिलाएं जो ब्रेस्ट कैंसर से लड़ रही है या जिसने बीमारी से जीत हासिल की है उसे शामिल किया जाएगा।

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